कुछ बोल ही नहीं पाते हैं
कुछ बोल ही नहीं पाते हैं


ज़ब वो पास होती हैं
कुछ बोल ही नहीं पाते हैं।
दूर होकर तन्हाई में
बड़बड़ाते हैं।
ये इश्क़ है या कोई रोग
लाख कोशिशों के बाद भी
समझ नहीं पाते हैं।
पास होके शरमाते हैं,
औऱ दूर होके घबराते हैं।
उसे सोच कर भले ही
मन ही मन में मुस्कराते हैं।
उसे चाहने की आस में
दिल में लड्डू फूट आते हैं।
ज़ब वो पास होती हैं
कुछ बोल ही नहीं पाते हैं।
दूर होकर तन्हाई में
बड़बडाते हैं !