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Dravin Kumar CHAUHAN

Romance

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Dravin Kumar CHAUHAN

Romance

कुछ अधुरी ही सहीद्रवीण कुमार

कुछ अधुरी ही सहीद्रवीण कुमार

3 mins
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यह जिंदगी मेरा उसका साथ अधूरी रह गई पर तेरा साथ मेरे साथ अधूरी रह गई हो गई रुसवाई कुछ इधर-उधर की बातों से हम होने लगे और भी परेशान अपनों के साथ छूट जाने से पर कभी कभी न जाने क्यों ऐसा लगता है कि हम कुछ अधूरी साथ ही सही पर गुजारे तो सही कुछ अधूरी ही सही चलो माना कि हमें कुछ पल उनके साथ समय बिताना जरूरी था पर वे जानते हैं कि हम कुछ पल ही साथ निभा सकेंगे कुछ पल ठहरेगे और निकल चलेंगे यह अधूरी सफर ना रहेगी तेरे मेरे साथ कोई और भी तो है ना तेरा जैसे सुबह सुर और शाम को चांद है कुछ पल का साथ लेकिन कुछ अधूरी साथ ही सही हम परदेसी हैं आज यहां तो कल वहां हम चलते रहते हैं कभी कभी कुछ पल ठहर जाते हैं और फिर निकल जाते हैं कुछ लोग हमें अपने अपनाते हैं कुछ अधूरी साथ दे जाते हैं तो कभी-कभी यूंही अधूरे ही सही कुछ साथ दे जाते हैं परदेसियों का तो यही है नियम कभी रुकते हैं तो कभी चलते हैं समय समय पर अपना ठिकाना बदलते हैं हम भी कुछ इन से कम नहीं हैं कुछ पल ठहरते हैं कुछ अधूरी ही सही समय साथ निभा जाते हैं अपने तय समय के अनुसार कुछ अधूरी कुछ की पूरी कर जाते हैं कुछ की ख्वाहिश पूरी कर जाते हैं कुछ की अधूरी छोड़ जाते हैं साथ लगभग समय सबके कुछ ना कुछ दे जाते हैं यह अनुभव कुछ और नहीं वक्त वक्त की बात है कुछ फल खाते हैं फिर चल निकलते हैं कुछ यादें भी साथ ले जाते हैं कुछ यादें छोड़ जाते हैं कुछ अधूरी ही सही समय दे जाते हैं कुछ यादों को ले जाते हैं कुछ यादों को दे जाते हैं हम परदेसी हैं कुछ अधूरी ही सही साथ ले जाते हैं कुछ अधूरी ही सही समय ले जाते हैं कुछ अधूरी ही सही कुछ दिलों पर छाप छोड़ जाते हैं ए जिंदगी मेरा उसका साथ अधूरी रह गई पर तेरा साथ मेरे साथ थोड़ी रह गई हो गई रुसवाई कुछ इधर-उधर की बातों से होने लगे और भी परेशान हम अपनों के साथ छूट जाने से पर क्या करें हम परदेसी हैं कुछ अधूरी ही सही साथ दे जाते हैं कुछ अधूरी ही सही साथ और अपने यादें ले जाते हैं यही तो परदेसियों की रीत है कुछ पल ठहरते हैं फिर चल निकलते हैं अपने साथ कुछ निशानियां छोड़ जाते हैं कुछ ले जाते हैं या संसार की परंपरा है यहां सभी परदेसी हैं सभी यात्री हैं कुछ फल ठहरते हैं फिर चल निकलते हैं कुछ अधूरी ही सही यादें दे जाते हैं कुछ बातें दे जाते हैं कुछ मोहब्बत के लिए छोड़ जाते हैं कुछ अपनों के लिए छोड़ जाते हैं यह जिंदगी कुछ अधूरी ही सही कुछ अधूरी ही सही समय-समय पर परिवर्तन कर जाते हैं कुछ लोग आते हैं कुछ लोग चले जाते हैं यहां परदेसियों का आना जाना लगा रहता है कुछ लोग पल भर ठहर थे हैं कुछ लोग कुछ ज्यादा ही पल ठहर जाते हैं फिर चल निकलते हैं अपने देश की ओर अपनों की ओर कुछ अधूरी ही सही अपनी ख्वाहिश ही छोड़ जाते हैं



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