कत्लेआम
कत्लेआम
तेरी हुस्नपरिस्तों के कत्लेआम अब भी जारी हैं....
कल किसी और कि थी, आज किसी और कि बारी हैं..
कुछ तेरे जुल्फतके, कुछ तेरी उल्फतके मारे पडे हैं..
कटे थे जो कल, आज फिर वो भी कतारो में खडे हैं..
कितनी ही गयी जाने, कितनीही बिछी लाशे,
आंहो का बोझ बहोत भारी हैं...
हिसाब दू तो तुझे किस का, गिनती तो अब भी जारी हैं...