कश्ती बिन किनारे की
कश्ती बिन किनारे की
ख़रीद ली थी हमने
हर चीज़ जो सस्ती थी
वो एक नजर भी देख ले इधर
न यह बात मेरे वस की थी
नाम दौलत शोहरत
सब कमाने के बाद भी
उसकी एक नजर मेरी तरफ न मुड़ी
न जाने कैसी वो हस्ती थी
जिसका कोई किनारा नहीं होता
मेरी मोहब्ब्त वो कश्ती थी...