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MAnNisha Misha

Romance

4.5  

MAnNisha Misha

Romance

कशिश

कशिश

1 min
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सुनो

आज फिर अल्फाज़ो में नशा सा है

मानो तुम संग फिर बहकना चाहते हों

लेकर कागज़ कलम हाथो में एक ग़ज़ल तुम पर कहना चाहते हो .....

ओढ़ लूं एक कशिश फिर तेरे नाम की

तेरी पलको में खुद को उतारूँ ज़रा ...

तेरे कदमो में रख कर कदम अपने

एक प्रीत का जहां बसा लूं जरा .....

आज थाम ले हाथ मेरा बेपरवाह तू

मेरे आँचल में खुद को सजा ले जरा....

कुछ बिखरी सी लटे मेरे गेसुओं की

तू उन्हें देख कर गुनगुना ले ज़रा.....

आज फिर वादियों में गूँजी

तेरे मेरे प्यार की

एक एहसासों भरी हसीं दास्ताँ


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