फाल्गुनी सा इश्क़
फाल्गुनी सा इश्क़
बिन आहट के आए तुम रूबरू मेरे
की यकीं प्यार पर हो चला है
यूँ सदियों की गफ़्तगु हो जैसे
हर अल्फ़ाज़ मेरे इतना करीब हो चला है
की रातों की सुनसान सी सरसराहट में
तेरी यादों के जुगनू जगमगाने लगे है
दिल आज कल कहता है मेरा
की हम भी मुस्करा कर गुनगुनाने लगे हैं

