करवाचौथ का चाँद
करवाचौथ का चाँद
प्रियतम की झलक तुझमें दिखती
करवा ले चौथ देखने को मैं तरसती
आज चाँद सुन मेरी विनती
निर्जल रह करें तेरा इंतेज़ार
व्रत खोलें जब तुझे लें निहार
दीर्घायु माँगे पति की सुहागिनें
चाहें सावित्री सा वरदान
चूड़ी खनके हाथभर
सजे सिन्दूर नख़ से शिखर
अर्घ दें,झारना से निहारें
पहले चाँद फिर पतिपरमेश्वर
चाँद की चाँदनी में हो जाते दो दिल शीतल
दुआएँ तुझसे लेंगे आते रहना हर साल
मनाते रहें हम चाँद और सुहाग का त्यौहार।

