करुण पुकार
करुण पुकार
कोरोना से त्रस्त, टूटते इंसानों को
प्रेम का सन्देश भेजो,
आओ, इस डूबते जहाज
को बचा सकने का ठौर भेजो।
बन जाओ संजीवनी तुम
मूर्छित लक्ष्मण की पुकार सुनो,
आओ राम, हनुमान, इस कराहती
मानवता के खेवनहार बनो।
पुकारे द्रोपदी तुम्हें, उसकी
जान पर बन आ रही है,
बिखरती सांसे, टूटती हिम्मत
कान्हा! तुम्हें बुला रही हैं।
जिंदगी की डोर, क्यों इतनी
कमजोर हुई, ऑक्सीजन की
किल्लत से, युवा जिंदगी, देखते
देखते ढेर हुई...
डॉक्टर के भेष में, भगवान हुए अवतरित
कुछ नर पिशाच, पर बेच रहे ईमान भी,
ऐसे में, गिरधर गोपाल, आओ..
कुछ लीला रचो, सबके दिल
में प्रेम, ममता का सोता बहाओ।
जब जब धर्म की हानि होवे
तेरा सुदर्शन घूमा है,
इस महामारी से बचाने को
कब का समय सोचा है।
आ जाओ, आ भी जाओ,
मेरे मुरलीधर! सब के दिल में
प्रेम संदेशा जगाओ, सब की
पीड़ा हर लो, सब को जीवन दान दो।
तुम ही ब्रह्म, विष्णु, महेश बन
इस धधकती मानव जाति का
विषपान कर लो, सब को अपनी
प्रेम ज्योति से प्रकाशित कर दो।