कर्ण
कर्ण
देख के रात का चंदा
जग उठा ये सूर्य
अपनी कहानी खुद लिखने में
सक्षम ये कर्ण
विलक्षण
बलवान है
स्वाभिमान है
हाथों की लकीरों में नहीं तो क्या
खुद अपनी पहचान है
खुद पे यकीन,
बेशुमार है ।
देख के रात का चंदा
जग उठा ये सूर्य
अपनी कहानी खुद लिखने में
सक्षम ये कर्ण
विलक्षण
बलवान है
स्वाभिमान है
हाथों की लकीरों में नहीं तो क्या
खुद अपनी पहचान है
खुद पे यकीन,
बेशुमार है ।