कर्मफल
कर्मफल
कांटे बिछा कर तू -फूलों की आस ना कर
अहंकार दर्शा कर- नम्रता की आस ना कर
जख्म को उसके कुरेद कर तू- मरहम की आस ना कर
गुनाहों की बख्शीश मांग -उससे रहम की फ़रियाद कर
तुझे पता है की तूने इम्तिहान में क्या लिखा है
प्रश्न पत्र कठिन था -समय कम था -पढ़े हुए से बाहर का आया था
ये दर्शा कर तू अपनों को नहीं अपने आपको धोखा दे रहा है
तुझे अच्छी तरह पता है परिणाम का
एक बात और ये कर्मफल केवल इस जन्म के नहीं
ना जाने कितने जन्मो के संचित हैं
इसलिए उस परम पिता से धन दौलत ऐश्वर्य नहीं
सब जन्मो के जाने अनजाने गुनाहों की बख्शीश मांग
ये मत समझ की कोई देख नहीं रहा
उस मालिक के सी सी टीवी कैमरे
जमीन से आसमान तक
अँधेरे से उजाले तक
सूर्य से चंद्र तक सब देख रहे हैं
करोड़ों अरबों की भीड़ में भी तेरे दुष्कर्म या सत्कर्म
तुझे ढूंढ निकालेंगे
ये कर्मफल वो बीज है जो या तो घनी छाँव देगा या देगा तपती धूप
ना दे दोष उसको क्यूंकि ये हैं तेरे कर्मों का फल
तेरा और केवल तेरा कर्मफल -कर्मफल
इसलिए लेना नहीं देना सीख
इसलिए अकड़ना नहीं झुकना सीख
इसलिए दान कर पुण्य कर सत्कर्म कर
क्यूंकि इसी धरती पर है तेरे कर्मों का
स्वर्गफल और नरकफल
तेरा कर्मफल -कर्मफल -कर्मफल