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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy

4  

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy

कर्मो का हिसाब

कर्मो का हिसाब

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दिवाना हुआ हूं मोह-माया का मै,

उसको कभी मै छोड सकता नहीं,

रात और दिन डूबता ही रहेता हूं,

कब बाहर आउंगा यह पता नहीं।


धन के लिये दौड़ लगा रहा हूं मै, 

भूख धन की कभी मिटती नहीं,

धन की प्राप्ती सही ये या गलत,

उसके लिये कभी सोचा ही नहीं।


परीवार जनो से फंसा हुआ हूं मै,

उनकी अपेक्षा पूरी होती ही नहीं,

दिन प्रतिदिन बढ़ती ही रहेती है,

कब पूरी होगी यह मालूम ही नही।


सुख-चैन से जीना चाहता हूं मै,

विचार का अमल कर सकता नहीं,

भक्ति रस में डूबना सोच रहा हूं मै,

समय मुझे कभी मिलता ही नहीं।


मेरे कर्मो का हिसाब कर रहा हूं मै

हिसाब कर्मो का मिल पाता ही नहीं,

"मुरली" तेरे शरण में आया है श्याम

तेरे सिवा मेरा कोई सहारा ही नहीं।



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