कर्म फल
कर्म फल
संभलेगा वही जिसे सभंलना होगा।
भाग्य को कर्म से ही चमकना होगा...।।
कोशिशें करेगा जो यहां जीत की।
परचम् उसी हाथ को थामना होगा....।।
थक कर ना कभी जिसका हुआ बैठना होगा।
उसी माथे में कामरानी का शेहर बंधना होगा।।
लाख चाहें बढ़ते कदमों को कोई रोकना गर्,
तुझको हर हाल में मंजिल में अपनी पहुंचना होगा।।
रख!भरौसा बाजुओं में ,अभी राह के पत्थरों से लड़ना होगा।
अभी ज़मी नपी है,अभी अर्श को तुझे छूना होगा।।
बढ़ेंगे कई हाथ !राह में तुझे रोकने के खातिर,
उन हाथों का रुख मोड़ कर,मंजिल-ए-मुकाम पर बढ़ना होगा।।