भाई
भाई
जब-जब जीवन में गम की आँधी आई
अपने अडिग हौसलों के साथ खड़ा रहा मेरा भाई
कहने को तो छोटा सा शब्द है भाई
लेकिन क्या कहूँ इस शब्द में है मेरी दुनिया समाई
माँ की डांट औऱ पिता की परछाई है भाई
जिंदगी की धूप में छाँव है भाई
मेरी हर उलझन तुमने ही सुलझाई
तुमने ही तो जीवन मे अनगिनत खुशियाँ लाई
नही कोई पैमाना जो नापे इस रिश्ते की गहराई को
माता-पिता पर सबने लिखा नही समझा कोई भाई को
जब बहन दुखी हो तो विचलित हो जाता भाई
पत्थर मन मे रखकर करता अपनी बहन की बिदाई
जब-जब मैं टूटने लगी तो मेरी हिम्मत बना मेरा भाई
तुमने हमेशा मेरी रक्षा की बनकर मेरी परछाई
जहाँ रहे तू भाई मेरे ,गम न आये उस द्वार
सदा रहे जीवन मे तेरे खुशियों की बहार
मेरे लिए तो भाई तू है जैसे भगवान का एक उपहार
कैसे कहूँ भाई तुम मेरे लिए क्या हो,तुम तो हो मेरे जीवन का आधार
तुझसे ही तो रौनक जीवन में तुझसे ही हर त्यौहार
भाई हमेशा बना रहे तेरा मेरा ये प्यार।
