आजादी का अमृत महोत्सव
आजादी का अमृत महोत्सव
आओ आजादी का अमृत महोत्सव मनाये
भारत माँ के वीर सपूतों के सम्मुख शीश झुकाये।
इस माटी के लाल हैं हम
जहां बैखोफ घूमते हैं आज हम।
यूं ही नहीं हुए आजाद हम
दिए देश के वीरों ने बलिदान।
कुछ हंस कर चढ़ गए फांसी में
कुछ ने जख्म सहे अंग्रेजों के।
संकल्प लिया था वीरों ने
देश को आजादी दिलाने का।
फर्ज पर अपने अड़े रहे
देश की रक्षा के लिए
लड़ गई वीरांगना लक्ष्मीबाई
अंग्रेजों से जंग में ना पीठ दिखाई
यूं ही नहीं हुए आजाद हम
दिया देश के वीरों ने बलिदान।
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह
हंसते-हंसते झूल गए फांसी में
किया संघर्ष भारत माँ के सपूतों ने
किया सत्याग्रह, चलाए आंदोलन राष्ट्रपिता संग जवानों ने
वीरों की टोली ने आजादी का आगाज़ किया
सदियों की गुलामी से भारत माँ को मुक्त किया
बजा बिगुल फिर आजादी का
गर्व है हमें अपने देश के वीर सपूतों पर
जो भारत माता के लाल हैं।
शिक्षा यही मिलती है हमें याद रखना सदा
उनके बलिदानों को।
अंग्रेजों की जंजीरों से मुक्त हमें कराया है।
अपनी जान गवा कर उन्होंने
भारत देश को आजाद कराया है।
यूं ही नहीं हुए आजाद हम
दिया देश के वीरों ने बलिदान।
आओ मिलकर संकल्प करें, इस आजादी को हम अक्षुण्ण रखे।
