अमृत का विस्तार
अमृत का विस्तार
अमृत का विस्तार
करो अमृत का विस्तार,
न डालो कहीं विष बूँद,
प्रेममय हो व्यवहार ,
जो बने जीवन आधार।
सद् विचार पोषण हो,
सहज भाव का वर्द्धन हो,
पर उपकार भरा जीवन हो,
मधुवर्षी वातावरण हो।
अमृत का विस्तार
करो अमृत का विस्तार,
न डालो कहीं विष बूँद,
प्रेममय हो व्यवहार ,
जो बने जीवन आधार।
सद् विचार पोषण हो,
सहज भाव का वर्द्धन हो,
पर उपकार भरा जीवन हो,
मधुवर्षी वातावरण हो।