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PRATAP CHAUHAN

Inspirational

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PRATAP CHAUHAN

Inspirational

गर्मियां

गर्मियां

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यह समय की कैसी चाल है,

हर तरफ हर व्यक्ति बेहाल है!

यह सर्वविदित सत्य है कि.....!

वक्त बदलते देर नहीं लगती,

बिना कष्ट सहे तो किस्मत भी नहीं जगती||

यह सबको पता है, कि वक्त बदलता है;

किसी से कुछ छीन लेता है तो...!

बदले में किसी को कुछ देता है||


जब से संसार में, कोरोना काल आया है;

अपने साथ एक भयंकर मंजर लाया है|

हाथ मिलाना भुला दिया...एकांतवास करा दिया

भूल गए सब एक दूजे को

जब से चेहरे पर मास्क लगा लिया है||


अब आना जाना बंद हुआ 

मिलना जुलना सब रद्द हुआ

अस्त व्यस्त जीवन अपना 

अब तो निष्क्रिय लाचार हुआ


पहले गर्मियों की छुट्टियां में, क्या आनंद आता था|

कोई मनाली हिल...तो कोई वाटर वर्ल्ड जाता था||


अब तो ऐसा लगता है कि, यह सब काल्पनिक बातें हैं|

जिधर देखो उधर, क्वारंटाइन-लॉकडाउन की बातें हैं||


लगता है कि बाकी समस्त बीमारियां खत्म हो गई हैं|

कोरोना के आने पर.......वह सभी भस्म हो गई हैं||


 देखते हैं हम जब सकारात्मक सोच के आईने में|

 तो दिखता है कि हमें परिवार को 

वक़्त देने का मौका मिला...और वो पास आए जो

पास रहकर भी दूर-दूर लगते थे संबंधों के दायरे में||


नजदीक आए हैं वह अपने सगे रिश्ते|

जिनको जिंदगी की प्रतिस्पर्धा में भूल गए थे||

वह किताबों भी मित्र बन गईं...!

जिन्हें अलमारी में सजाकर भूल गए थे||


हां यह सच है कि 2020 से,

पहले का वक्त कुछ और था;

उसके बाद का दौर कुछ और है|

गर्मियों का आनंद जो पहले था वह अब नहीं,

आप तो शादी समारोह में जाने में भी डर लगता है!

निर्भय रहने के लिए अब तो घर ही  एक मात्र ठोर है।


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