सिया राम
सिया राम
सिया राम की कथा अनूठी हर पंक्ति में सीख भरी
मन से सुनी जब लीला न्यारी , काया भवसागर तरी,
हर चौपाई भरी ज्ञान से, जिसका ना कोई सानी है,
करूं पालना हर प्रयास कुशल बन, बस मन ठानी है,
भला हो जाए इस जग का जो बने मानव राम समान,
हर संभव श्रेष्ठ काज से बने मर्यादा पुरुषोत्तम गुणवान,
हर चरित्र का अपना मूल्य , जीवन में जैसे हितकारी
संवर गई लीला प्रभू की , जो पाई" मिथिला"सी नारी,
करें प्रयास आप भी ,हर पल निभाएं अपना धरम
ऊंच नीच का भेद भूलकर , संवारे अपने भी करम।