वीर सैनानी
वीर सैनानी
विक्रम योद्धा वीर सेनानी।
अरिदल के मर्दन की ठानी।
दुश्मन करगिल के थे शातिर।
मर मिट गया देश की खातिर।
मातृ भूमि की रक्षा में वह,
बना लिया था खुद को माहिर।
सीने पर गोली खाकर के,
अमर हो गया वह जग जाहिर।
हम्प व राकी नाब जीत कर,
आई थी उसमें मरदानी।
विक्रम बन गया था परम वीर।
खोया न कभी भी हृदय-धीर।
हर पल रखा सरहद का ध्यान,
सजग हरण में वतन की पीर।
था देश की आन-बान -शान।
सौर्य -त्याग औ बलिदानों की,
अमर रहेगी सदा कहानी।
भारत माँ का कर्ज चुकाने।
दुश्मन को खाक में मिलाने।
सही यातनाएँ कितनी पर,
चली न दुश्मन की मनमानी।
