बेटी से बहू
बेटी से बहू
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अपनी सहेलियों से
माँ-बाप से
भाई-बहनों से
बिछड़ने का ग़म
अपनी गली-मोहल्ले
चौराहे-नुक्कड़
पताशे-टिकिया को
भूल कर जाना
बस एक मीठी सी
याद साथ ले जाना
जो सालों या बरसों
बाद कभी ताजा
हो जाती है,
वहाँ वापस
जाने के बाद
और शादी के बाद
एक अनजान
अजनबी शहर/गाँव से
रूबरू होना
और जीवन भर
वहाँ की हो जाना।
एक अजीब-ओ-गरीब
दास्तान,
कभी न भूलने वाली।