STORYMIRROR

Kavi kapil khandelwal 'Kalash'

Abstract Inspirational Others

4  

Kavi kapil khandelwal 'Kalash'

Abstract Inspirational Others

बेटी से बहू

बेटी से बहू

1 min
383

अपनी सहेलियों से 

माँ-बाप से

भाई-बहनों से

बिछड़ने का ग़म

अपनी गली-मोहल्ले

चौराहे-नुक्कड़

पताशे-टिकिया को

भूल कर जाना 

बस एक मीठी सी 

याद साथ ले जाना 

जो सालों या बरसों 

बाद कभी ताजा 

हो जाती है,

वहाँ वापस 

जाने के बाद

और शादी के बाद 

एक अनजान 

अजनबी शहर/गाँव से

रूबरू होना 

और जीवन भर

वहाँ की हो जाना। 

एक अजीब-ओ-गरीब 

दास्तान, 

कभी न भूलने वाली। 

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract