ए मुश्किल घड़ी!!
ए मुश्किल घड़ी!!
ए मुश्किल घड़ी तुम जैसी भी हो ना!
मेरी भी तुम कुछ सुनती चलो ना!
कहीं कर रहीं तुम सब कुछ खामोश,
कहीं रिश्तों में भर रही तुम बस होश।
कहीं परिवार सबके जिला रही हो
कहीं सबको करीब मिला रही हो
समझा रही सबको एक होना है।
ए मुश्किल घड़ी तुम जैसी भी हो ना ...!!
डर से तेरे करीब कौन सच में
कौन है सिर्फ एक नाम भर में
दौड़ती जिंदगी मे जो ये धीमा सफर है
हमराही कौन यहां कौन हमसफर है
सब खुलता उधड़ता हुआ दिखना है
ए मुश्किल घड़ी तुम जैसी भी हो ना...!!
हाँ, हजारों भूखे, निराश्रित भी खड़े हैं
कुछ बेढंगे, नामुराद सियासी भी अड़े हैं
हाँ, ये वक्त, बहुत सख़्ती का अमल है।
हर कल से आती डर की भी चहल है।
लड़ कर ही सबका भविष्य खुलना है।
ए मुश्किल घड़ी तुम जैसी भी हो ना...!!
ए मुश्किल घड़ी तुम जैसी भी हो ना,
मेरी भी तुम कुछ सुनती चलो ना!
इस विध्वंस मे भी सृजन करती चलो ना।
भटकी इंसानियत को समझाती चलो ना।
ए मुश्किल घड़ी तुम जैसी भी हो ना!
मेरी भी तुम कुछ सुनती चलो ना!
