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अनिल श्रीवास्तव "अनिल अयान"

Tragedy

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अनिल श्रीवास्तव "अनिल अयान"

Tragedy

कोरोना का आपातकाल-02

कोरोना का आपातकाल-02

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दीवारें शमसान की, ऊंची कर दो यार।

ताकि सबको ना दिखे, लाशों का अंबार।।


लाखों पार हम हो गए, कोरोना के केश।

मौत यहां पर है खड़ी, बदल‌ स्वयं का वेश।।


एक साल भी कम पड़ा, दूजा भी बलिदान।

तहस नहस सब कर दिया, कोरोना हैवान।।


छिपा आंकड़े मौन अब, घाटे में सरकार।

जनता हर पल रो रही, मंहगाई की मार।।


रोजगार वा नौकरी, वाइरस पर बलिदान।

कर्फ्यू मीठा जहर है, धीरे से लेगा जान।।


जीवन के दुस्वप्न हैं, कोरोना के साल।

चुनाव यहां पर फल रहे, जन जन तक बेहाल।।


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