कोरे कागज
कोरे कागज
तुमसे कहने को बातें तो रहती है,
पर तुमसे कुछ कहना मुमकिन नहीं है।
लगता है ये रातें कुछ लंबी हो गई है,
अँधेरी रातें हैं यूँ ही जागती रहती है।
पता है ये आँखे बंद तो नही होती,
पर ये पलकें गीली हो जाती है।
कुछ शब्दों से पन्ने भर भी जाते,
पर अब कुछ है जो अधूरा ही रह जाता है।
लिखने से कागज कोरे ही रह गए हैं,
लगता है अब तो स्याही भी सफेद है।