कोई क़रीब होता !
कोई क़रीब होता !
हमने सहे हैं ज़िंदगी के ,
गम भी इस तरह।
चुपचाप अलविदा हूँ मैं ,
अब मौत की तरह।।
तुम ना हो मेरे पास ,
मगर याद साथ है।
यादों को ढोता फिरता हूँ
अब शौक की तरह।।
सपने बिखेरे तुमने जो ,
मैंने सजा दिए।
अब मांगती क्यों उनको ,
खरीदार की तरह।।
