कोई नजर इंतजार करती है
कोई नजर इंतजार करती है
ना जाइये जरा रुक जाइये,
कोई नजर इंतजार करती है।
खामोश है जुबां पर धड़कन ,
दिल की ये बेकरार करती है।
नजरों से हैं नजरें मिली,
बातें बेहिसाब करती हैं।
दिल की गली में एक चिड़िया,
प्यार का इकरार करती है।
मेहंदी सजी है हाथों में,
तेरा ही इंतजार करती है।
बिंदी, चूड़ी, झुमका,पायल,
सब तुझसे प्यार करती हैं।
नदिया जा के समन्दर से अपने,
प्रेम का इजहार करती है।
अपने अस्तित्व को खोकर,
अपना मिलन साकार करती है।
सागर की बाहों में थककर,
अनंत में विश्राम करती है।
प्रेम के लिए सर्वस्य अपना,
नदिया बलिदान करती है ।

