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कोई कुछ न कहेगा

कोई कुछ न कहेगा

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कोई कुछ न कहेगा तुम्हें अच्छाइयाँ करने के बाद

हर खुशी मिलेगी तुम्हें अहम् को फैंक देने के बाद।


जब तलक भेदभाव है मन में कुछ नहीं हो सकता

जायेगी उदासी की महफिलें दर्द झेल जाने के बाद।


पूछो कली से खुशबू आती है खुलकर कि कैसे बहार

हवा में ताजगी बनी रहती है खूशबू फैल जाने के बाद।


प्रेमपथ पर कभी दूर दिखाई देती है हमारी मंजिल

उगता है बीज मिट्टी में ही वक्त मिल जाने के बाद।


विषयों के खाई में जीवन भर डूबते रहते हैं हरदम

होश ठिकाने आते हैं हमारे सालों-साल जाने के बाद।।


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