कोई ऐसा क्यूँ होता है
कोई ऐसा क्यूँ होता है
जब तक जीवन औ जान रहे
निष्ठुरता और अभिमान रहे !
माया से भी मोह करे
पर मन मे तो अवसान रहे !!
कुन्थित और संकुचित होकर
क्या जीत सके या हार रहे !
जीवन में जीत सुनिश्चित है
गर सच्चाई का साथ रहे!!
वो लोग जो बहुतायत मे हैँ
ना मन खोले औ याद करें !
तिरस्कार करें काबिल पौरूष
हम उनका फिर क्यूँ ध्यान करें !!
ये याद रहे ऐ पावन मन
जग नाटक भी है सुन्दर भी !
हमको कैसे सच् जीना है
इसका अनुभव बारम्बार रहे !