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Aparna .

Tragedy Classics Inspirational

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Aparna .

Tragedy Classics Inspirational

कन्या

कन्या

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न है इधर की न उधर की 

रखती है खयाल सबकी,

अनोखी सृष्टि हे भगवान की

यही है स्वभाव कन्या की।


दो नदियों की मझधार है कन्या

दोनों परिवारों की नींव है कन्या,

सबकी शुभचिंतक है कन्या

यही उसकी स्वभाव है।


जन्म लेती जिस घर में 

या जाति जिस ससुराल में,

न करती भेद उनमें

सबको रखती वह दिल में।


होती किसी की बहू, बेटी, मां

या बहना, भाभी होती है,

जो रिश्ता बनाती है

प्यार से उसे निभाती है।


होती वह कभी शीतल सरस्वती

या लक्ष्मी और गंगा होती है,

दुर्गा काली या चंडी का 

उग्र रूप ले जाति है।


लेकिन इस रत्न को मानव ने पाषाण बनाया है

जन्म लेने से पहले ही इसके जान से खेला है,

मारा, पीटा और मौत की नींद सुलाया है

क्या भूल गया की कन्या ही उसका आधार है।


   -अपर्णा


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