कमी मन की
कमी मन की
अमीरों के पास कोई कमी नही है,धन की
अमीरों के पास कमी है,बहुत बड़े मन की
गरीबों के पास चाहे कमी हो रुपये,धन की
पर कोई कमी नही है,उनके भीतर चंदन की
अमीर लोग बगुले से ड्रेसे पहनते है,वसन की
भीतर उनके सड़ांध भरी है,सूदखोरीपन की
गरीब व्यवहार न तोलते,ले बाट-तराजु धन की
अमीर पैसे के खातिर रूह बेच देता,चमन की
पैसे से नही साखी,अमीरता लाना तू मन की
गरीब में ही छवि बसी है,प्रभु नर नारायण की
आदत है,बस अमीरों को झूठ ओर गबन की
दीन को आदत न जरा भी खैरात के धन की
गरीब रोटी खाता है,खरी मेहनत-लगन की
चाहे कमी हो,दीन पास अगले दिन अन्न की
पर उसे आदत है,बस वर्तमान सुमिरन की
उसे नही है,जरूरत हाय-हाय धन भवन की
गरीब तो मौन,स्वच्छ आवाज है,मधुवन की
अमीर आवाज है,स्वार्थ भरे कपटी बदन की
बहुत जरूरत है,इस बात के चिंतन-मनन की
सूद विधि विरुद्ध है,रक्षा करो कृषक जन की
गरीब को जो सताये,उसे दो सजा रुदन की
गर चाहते हो,सुमन की तरह के जीवन की
भीतर खुश्बू फैला लो,पवित्र गरीबपन की
गरीब में बसी है,छवि प्रभु नर नारायण की
क्यों अमीरों इतना हाय धन,हाय धन करते हो
अंत मे जरूरत पड़ेगी,बस दो गज कफ़न की
छोड़ भी दो बुरी आदतें, वक्त रहते दोगलेपन की
याद रहे, दीन दुआ-बद्दुआ कबूल होती, गजब की।