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Archana kochar Sugandha

Abstract Others

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Archana kochar Sugandha

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कलयुग आखिर तुम कब जाओगे--?

कलयुग आखिर तुम कब जाओगे--?

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चार युगों के चौराहे पर खड़े हैं

माँ धरती के पाए पर खड़े हैं

चहुँ ओर मची है चीत्कार

त्राहि-त्राहि रक्षा की पुकार।

कलयुग आखिर तुम कब जाओगे


सतयुग फिर से आएँगे हमारे द्वार

हरण होगा धरा से व्यभिचार

करेंगे मंत्राचार, वेदों का उद्धार

भक्त प्रहलाद की रक्षा करने

भगवान स्वयं लेंगे नरसिम्हा अवतार।

कलयुग आखिर तुम कब जाओगे


संदेश त्रेतायुग के आने का सुनाओगे

मर्यादाओं में बंधे होंगे पुरुषोत्तम

कायम होगा राम राज़ सर्वोत्तम

धरा से रावण का करने संहार

भगवान स्वयं लेंगे श्री राम अवतार।

कलयुग आखिर तुम कब जाओगे।


महाभारत की धरती पर

उपदेश गीता का फिर से सुनाओगे

लुटती आबरू को

चीर की ओट में कब छुपाओगी

वेदना झेलती, बेड़ियों से जकड़ी नारियों को

कंस के काल ग्रह से कब मुक्त कराओगे

गोपियों संग रास रचाओगे राधा-कृष्णा

मिलन में आस जगाओगे

द्वापर युग में फिर से वास करवाओगे।

कलयुग आखिर तुम कब जाओगे


युग बन गए केवल बीते युगों की कहानियाँ 

कलयुग में रह गई हैं केवल कुर्बानियाँ

अजब-गजब अनूठी और निराली 

कलयुग तेरी करामात

पीड़ा में आवाम और हर दिल है आहत 

सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग

गले अपने फिर से कब लगाओगे।


कलयुग आखिर --- ?



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