कलम बलवान
कलम बलवान
जिस तरह शबाब को
न है शराब की ज़रूरत,
सपनों को न है
ख्वाब की ज़रूरत,
कलम की ताकत से तो
है ये दुनिया रू-ब-रू,
उसी तरह अल्फाजों को
न है आवाज़ की ज़रूरत।
जिस तरह शबाब को
न है शराब की ज़रूरत,
सपनों को न है
ख्वाब की ज़रूरत,
कलम की ताकत से तो
है ये दुनिया रू-ब-रू,
उसी तरह अल्फाजों को
न है आवाज़ की ज़रूरत।