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Nidhi Kumari

Action Tragedy

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Nidhi Kumari

Action Tragedy

क्या गुज़री होगी ?

क्या गुज़री होगी ?

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सोचती हूँ,

उस शहीद की पत्नी पर

क्या गुज़री होगी

जिसे उसके पति ने वादा दिया था,

फलक तक ले जाऊंगा..


और आज वो वर्दी के

चमकते सितारे लेकर

फलक की सैर के लिए

अकेला ही चला गया।


उस माँ पर गुज़री होगी

जिसे वादा दिया था,

तुम्हारे लिए नया घर बनवाऊंगा...


आज उसी घर के आगे

उसके घर का

चिराग बुझ गया।


उस पिता पर क्या गुज़री होगी

जिसके कंधों पर उस वीर ने

अपना बचपन बिताया..


आज उन्हीं कंधो पर

वो अपना आख़िरी

सफर तय करेगा।


उसकी बहन पर क्या गुज़री होगी

जिसे वादा दिया था,

दुल्हन की चुनरी तुझे

मैं ही ओढ़ाऊंगा ..


और आज वो खुद

तिरंगा ओढ़े आया है।


उस भाई पर क्या गुज़री होगी

जिसे वादा दिया था,

बड़ी गाड़ी में तुझे घुमाऊंगा ...


आज उसी गाड़ी में वो

बेबाक बेजुबान आया है।


उस बच्चे पर क्या गुज़री होगी

जिसे वादा दिया था,

घर वापस आकर खूब खेलूंगा ..


आज इंसानियत ही

खिलौना नज़र आ रही है।


आज बेशक तू

सबका वादा तोड़

कहीं दूर चला गया है ...


पर धरती माँ से किए वादे को

पूरा कर

स्वर्ग के द्वार खुलवा लिए तूने।


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