कलकल करती छलछल करती,
कलकल करती छलछल करती,
कलकल करती छलछल करती,
चट्टानों से क्रीड़ा करती
कभी इधर मुड़ कभी उधर मुड़
वन पर्वत में लुकती छिपती..
चट्टानों के किसी मोड़ से
वन पर्वत के किसी छोर से
चट्टानों की कर अलबेला
कौन चली है यह अलबेला...
धार - धार से जुड़ा है जीवन
स्वयं हिमाद्रि में गलगल कर
चट्टानों से क्रीड़ा करती
कलकल करती छलछल करती...
