मैं उस देश की नागरिक हूं
मैं उस देश की नागरिक हूं
मैं उस देश की नागरिक हूँ...
जिसके गोद में नौजवान खेलते हैं..
हाथ में बंदूक, होठों पर मुस्कान
हर पल रहते हैं तैयार दिल में जज्बा आंखों में गुस्सा
तभी तो सामने खड़े दुश्मन भी कंपकपाते हैं,
सीना चौड़ा करके शान से कहते हैं,
हम उस भारत माता के वीर जवान हैं,
मैं उस देश की नागरिक हूं...
जहां छत्रपति शिवाजी जैसे महाराज और सम्राट अशोक जैसे राजा थे.
मैं उस देश के नागरिक हूं..
जहां 50 मील पर रंग, रूप, पहनावा और मजहब बदल जाता है..
मैं उस देश के नागरिक हूं..
जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया को पाया जाता है
मैं उस देश के नागरिक हूं..
जहां अपने भूगोल से पहले इस ब्रह्मड के भूगोल को समझा जाता है
मैं उस देश की नागरिक हूं..
जहां की मातृभाषा हिंदी है लेकिन फिर भी यहां के लोग हिंदी बोलने में कतराते हैं और अगर अंग्रेजी बोलनी नहीं आती तो खुद को खुद ही शर्मिंदगी एहसास दिलाते हैं,
मैं उस देश की नागरिक हूं..
जहां सभी रीति-रिवाजों पर चलते हैं
जहां बड़ों का आशीर्वाद और छोटे का प्यार मिलता है,
मैं उस देश के नागरिक हूं..
जहां परेशानियों को अपनी मुट्ठी में भरा जाता है
और जहाँ हर रोज एक नई मुस्कान लाता है
बदलेगा जमाना, बदलेगा वक्त
एक दिन बदलेगा यह देश
उगता हुआ सुरज एक दिन नई रोशनी लाएगा
अपने देश की पहचान हमें यह मिट्टी बताती है,
बारिश में भी यह अपनी खुशबू बताती है
जब दादी- नानी परियों की कहानी सुनाती है
तब खो जाती हूँ अपने सपनों की दुनिया में,
मैं उस देश के नागरिक हूँ....
जिसकी गोद में नौजवान खेलते हैं..
हार भी मुझ से हार मान लेती है,
जब मैं अपना हौसला दिखाती हूँ,
थकती नहीं मैं जिंदगी की दौड़ से,
हर रोज एक नई उम्मीद बना जाती हूं,
परेशानियां तो मानो हर रोज गले लगाती है,
मैं भी कम नहीं हर रोज मुस्कुरा जाती हूं,
मैं उस देश की नागरिक हूँ...
जिसके गोद में नौजवान खेलते हैं..
