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Crazy Kudi

Tragedy

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Crazy Kudi

Tragedy

पता नहीं क्यों...

पता नहीं क्यों...

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आज मैं ऐसा महसूस कर रही हूँ

भीड़ में बैठी हूँ 

फिर भी किसी को तलाश रही हूँ


समझ नहीं आ रहा

क्या करूँ

किससे अपने एहसास बयाँ करूँ

क्या कोई समझेगा

जो मैं महसूस कर रही खाली-खाली सा लग रहा है यहां

कोई पास ही नहीं है मेरे

बस.. बैठी हूँ अपनी इस तन्हाई के साथ

क्योंकि कोई तो है जो पास है मेरे


शायद कुछ हो गया है मुझे

यूँ गुमशुम-सी नहीं थी मैं पहले

यूँ चुपचाप रहना नहीं आता था पहले


सबके साथ उधम मचाना

ये आदत थी मेरी

और सबको खुश रखना

यही चाहत थी मेरी


पर अब लगता है

वो सिर्फ एक सपना था

इस भीड़ में

शायद मेरा भी कोई अपना था।


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