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Crazy Kudi

Others

4  

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अधूरे ख्वाब...

अधूरे ख्वाब...

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अक्सर बैठती हूँ अकेले छू लेती हूँ खामोशियाँ, 

झांक लेती हूँ अपने अंदर देख लेती हूँ ख्वाबों की कश्तियाँ  

वो जो हसीन सपने इन आंखों ने कभी देखे थे, 

वो कुछ अधूरे ख्वाब दिल के कोने में बैठे थे, 

समय की धारा में कुछ यूं बह गये हम क्या सोची थे , क्या कर गये हम, 

हकीकत नहीं होते तो क्या हुआ, आज भी सपने देखती हूँ, 

पूरे नहीं होते सब फिर भी ख्वाब देखती हूँ

लौट आती हूँ वापस उन तनहाइयों से और खो जाती हूँ,

पूरानी जिंदगी की रफ्तार में तय कर लेती हूँ नये सपनो का

सफर पर बहने लगती हूँ फिर वही समय की धार में... 


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