कल क्या होगा?
कल क्या होगा?
यात्रा ए जिंदगी
कल क्या होगा?
किसी को न खबर
अगला पल सब बेखबर।
कब,क्या,कैसे होगा ?
सोच का नहीं फायदा
सब खेल ऊपर वाले के
होगा वही , जो होना होगा।
मानव मन बस यूँ घबराए
कल की चिंता यूँ ही सताए
रस्ता सब अंजान कुछ न सुझाए
खुद की सोच मानव मन धंसता जाए।
गर जीवन में आगे है बढ़ना
मंजिल को अपनी जो है पाना
माना यात्रा का सफर है अंजाना
बस हिम्मत से कदम आगे है बढ़ाना।
यात्रा पूर्ण हो जाएगी
परेशानियाँ सब टल जाएँगी
जीवन में नित खुशियाँ आएंँगी
यात्रा ए जिंदगी सुखद होती जाएगी।