कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन!
कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन!
मैं रूठी, तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन!
आज दरार है, कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन!मैं चुप, तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन!
छोटी बातो को लगा लोगे दिल से,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन!
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन!
न मैं राजी, न तुम राजी,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन!
डूब जाऐ यादों में दिल कभी,तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन!
एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,इस अहम् को फिर हराएगा कौन!
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए
फिर इन लम्हों में अकेले रह जाएगा कौन!
मूंद ली दोनों में से अगर किसी दिन एक ने आँखें...
तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन!!