STORYMIRROR

Sakshi Kumari

Romance

4  

Sakshi Kumari

Romance

कितना डरते हो

कितना डरते हो

1 min
395

कितना डरते हो फिर भी प्यार मुझसे ही करते हो,

कभी घर से तो कभी घर वाले से लड़ जाते हो,

कभी अपने दफ्तर से बिन बोले ही भागते हो,

कभी रातों के चुपके से छत पर जाते हो,

कितना डरते हो फिर भी प्यार मुझसे भी करते हो,

कभी खुद प्रकाश नहीं करते और मेरे लिए पूरा मॉल उठा लाते हो,

कभी खुद की फिक्र नहीं करते पर मेरी फिक्र में दिन-रात रहते हो, 

कभी नजर झुकाते नहीं पर मेरे पास नजर झुका के ही रहते हो,

इतना डरते हो फिर भी प्यार मुझसे ही करते हो,

कभी संभल के चलते हैं कल मुझे हर बार संभाल लेते हो,

कभी किसी से लड़ते नहीं पर मेरे लिए पूरी दुनिया से लड़ जाते हो,

कभी किसी की बात सुनते नहीं पर मेरी हर बात में हामी भरते हो,

कितना डरते हो फिर भी प्यार मुझसे ही करते हो,

कभी खुद की पसंद का याद नहीं पर मेरी हर पसंद नापसंद का ध्यान रखते हो,

कभी सही गलत की समझ नहीं तुम्हें पर मेरे लिए हर बात समझते हो,

कभी समय के पक्के नहीं हो तुम पर मेरे लिए समय से पहले हाजिर हो, 

कितना डरते हो फिर भी प्यार मुझसे ही करते हो।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance