किताबों की दुनिया
किताबों की दुनिया
किताबों की दुनिया
कौन कहता है कि फ़ीकी है
इस दुनिया से ज्यादा यहाँ
मेरे ख्वाबों से नजदीकी है
रोने की वाजिब वजहें हैं
हॅसने के कई बहाने हैं
जो मुझे मुझसे रूबरू करायें
ऐसे बेशुमार फसाने हैं।
किताबों की दुनिया
कौन कहता है कि फ़ीकी है
इस दुनिया से ज्यादा यहाँ
मेरे ख्वाबों से नजदीकी है
रोने की वाजिब वजहें हैं
हॅसने के कई बहाने हैं
जो मुझे मुझसे रूबरू करायें
ऐसे बेशुमार फसाने हैं।