किताबें बोलती है
किताबें बोलती है
किताबें भी बोलती है,
राज़ अपने दिल के खोलती है
हाँ ... हाँ
किताबें भी बोलती है।
बातें तेरे दिल की,
मेरे दिल की, इसके दिल की
उसके दिल की,
हां किताबें भी बोलती है।
कुछ और भी है
जो वो कहती है,
क्या.....…
वो विरासत बताती है,
वो सियासत बताती है,
वो हर तरह की
संस्कृति बताती है,
वो कभी इतिहास बन
हमे वीरता के किस्से
सुनाती है....
कभी भूगोल बन
हमे ब्रह्मांड घुमाती हैं,
हां किताबें बोलती है,
कभी रामायण बन
राम की तपस्या बताती है
कभी महाभारत बन
न्याय का पाठ पढ़ाती है
वही श्री कृष्ण के उपदेशों से
बन गीता हमे पाठ
मानवता का सिखलाती है
कभी कुरान बनती है
तो बाइबिल बन जाती है
हाँ किताबें भी बोलती है।