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SHIVENDRA KISHORE

Abstract

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SHIVENDRA KISHORE

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किस्मत का रोना क्यूँ रोयें

किस्मत का रोना क्यूँ रोयें

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किस्मत का रोना क्यूँ रोयें,

प्रयत्न करें, और गतिमान रहें !

हालात से अपने, क्यों डरें,

कठिन हो राहें, पर चलते रहें !


यूँ हीं दिन और शाम ढ़ले,

हर हाल में हम सब साथ रहे !

धूप और छाँव आया करे,

पर अच्छी सुध-बुध बनी रहे !


वाणी कभी ना बाण बने,

समय भले अनुकूल ना रहे !

साथ अपनों का बना रहे,

गिरे और संभलें पर बढ़ते रहें !


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