Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

4.5  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

किसे,कैसे

किसे,कैसे

1 min
236


किसे अपना दुःख सुनाऊं ? किसे अपना गम बताऊं ?

हर शख्स रूठा है, मुझसे, कैसे हर रिश्ता निभाऊं ?

लबो पे भले मेरे हंसी है, भीतर कैसे गम दबाऊं ?

सब यहां कहते कुछ है, सब यहां करते कुछ है


कैसे हकीकत बताऊं ? कैसे शीशे से धूल हटाऊँ ?

कैसे ?, मुखोटों के चेहरों मे, अपने चेहरे को दिखाऊं

किसे आज पास बुलाऊं ?हर आईना टूटा ही पाऊं

किसे अपना दुःख सुनाऊंकिसे अपना गम बताऊं


जिसे मित्र नही भाई माना, जिसे चित्र नही सांई माना,

आज उसीसे में कहराउं, हृदय जख़्म किसे बताऊ ?

जिसने दगा किया, उसे, क्या कहकर बुलाऊं ?

दगाबाज कहकर, क्यों न उसे बुलाऊं ?


सामने मधुकर, पीठे पीछे खंजर,

इससे अच्छा तो साखी, कभी मित्र ही न बनाऊं

किसे अपना दुःख सुनाऊं ? किसे अपना गम बताऊं ?

सब चेहरे हंसते है, मुझे बिना बात रुलाते है, मुझे


किस चेहरे से मन लगाऊंहर चेहरे में स्वार्थ ही पाऊं

एकमात्र तू सच्चा साथी है, बालाजी तू ही दीप बाती है,

बस हनुमानजी, मेरे स्वामी, तुझमे ही सब रिश्ते पाऊं

तू ही माता, तू ही पिता, तू ही जीवन रचयिता,


हे बजरंगबली, तुझमे ही खुद को पाऊं

बाकी इस खूनी जग में, लहू के आंसू ही पाऊं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy