किसान
किसान
झोपड़े में उसके तरक्की की रौशनी नहीं जाती,
आँखों से कभी अश्कों की नमीं नहीं जाती।
भूखा सो जाता है अक्सर सबको खिलाने वाला,
जाने क्यूँ किसानों तलक आमदनी नहीं जाती।।
झोपड़े में उसके तरक्की की रौशनी नहीं जाती,
आँखों से कभी अश्कों की नमीं नहीं जाती।
भूखा सो जाता है अक्सर सबको खिलाने वाला,
जाने क्यूँ किसानों तलक आमदनी नहीं जाती।।