STORYMIRROR

रूपेश श्रीवास्तव 'काफ़िर'

Tragedy Others

2  

रूपेश श्रीवास्तव 'काफ़िर'

Tragedy Others

किसान

किसान

1 min
152

झोपड़े में उसके तरक्की की रौशनी नहीं जाती,

आँखों से कभी अश्कों की नमीं नहीं जाती।

भूखा सो जाता है अक्सर सबको खिलाने वाला,

जाने क्यूँ किसानों तलक आमदनी नहीं जाती।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy