STORYMIRROR

Deepika Raj Solanki

Tragedy

4  

Deepika Raj Solanki

Tragedy

किसान

किसान

1 min
252

खेतों में लहराती सोने की बाली,

देखकर मुस्कुराता है उनका माली


सर पर साफा और पैरों पर ना चप्पलों की जोड़ी,

सर्दी गर्मी सब उसने है छोड़ी,

लहराती फसलों के लिए जिसने

खेतों में पसीने की खेली होली,


रोज़ अपनी भूख से जो है लड़ाता,

वही हमारे अन्नभंडारों को है भरता,

देखो विडंबना कैसी-

वही किसान फांसी के फंदे पर लटकता,


अपने हक़ के लिए क्यों अकेला है लड़ता,

विवश हो सड़कों पर आज है भटकता,

जय जवान ,जय किसान का नारा

एक बार फिर हम बुलंद करें,


केसरिया रंग में हम भी अपने को आज रंगे,

हो साथ उनके, संघर्ष पथ पर हम भी चलें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy