किसान
किसान
दिनभर जो करता काम,
नहीं है उसको आराम।
खून पसीना बहा ,
खेत में हुए जो लहू लुहानल
देता हमको जो अन्न का दान,
वही है जिसको कहते है हम किसान।
वो हमारा पालनहार है,
वही से आता हमारा खान पान है।
खुद है वो दुखी रहता, पर रखता हमें सुखवान है।
वो हम पर इतना महरबान है,
वही है जिसे कहते है हम किसान हैं।
नाम तो दिया हमने उसे किसान का,
परंतु है वो दूजा रूप भगवान का।
उसकी कद्र करो क्योंकि उतरना है
कर्ज हमें उनके एहसान का।
