किसान तपती धूप में.
किसान तपती धूप में.
जानते हो निवाले के लिये,
किसान तपती धूप में,
सर्वस्व निछावर करता,
शीत लहर जमती बर्फ में,
निवाला मिले देश बंधु दर्द से,
खुद को गिरवी रखता कर्ज में,
पूरा देश खाये भूखा ना रहे गर्त में,
निवाला देते किसान अन्न देव होता।
इसके बदले में किसान को क्या मिलता,
फसल को कर्ज लेकर सरकार से पौने दाम मिलता,
फसल बैठ जाती बिचौलिया के घर,
और किसान पसीना बहा कर आत्मदाह करता।
अरे और कौन है सबको निवाला पैदा करने वाला,
खुद तो तकनीकयुक्त हो अफसर स्टेट्स वाले बनते,
है कौन तपती धूप जमती बर्फ में काम करने वाला,
बस किसान ही होता है देश का पेट भरने वाला।
