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Dr Rajmati Pokharna surana

Tragedy

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Dr Rajmati Pokharna surana

Tragedy

किन्नर

किन्नर

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किन्नर हूँ मै कितने दर्द सीने मे

दफन कर के रखती हूँ

अथाह पीड़ा का भंडार है मन मे

बनावटी मुस्कान से उसे छिपाती हूँ ।

हाँ समाज में मै किन्नर कहलाती हूँ ।


वाह रे कुदरत तेरा खेल है निराला

तूने मेरी झोली मे ये कैसा रंग है डाला

लेकर सीने पर दर्द का वजन मै

फिर भी मै हर पल मुस्कराती हूँ ।

हाँ समाज में मै किन्नर कहलाती हूँ ।


शिकायत है मुझे ख़ुदा मेरे जन्म से

ना मैं पुरुष ना मै नारी कहलाती हूँ

दूसरों के घर अपनी दुआओं से सजा

अपनी पहचान के लिए तरसती हूँ ।

हाँ समाज में मै किन्नर कहलाती हूँ ।


ईश्वर तेरे ही द्वारा बनाई गई मैं

शख्सियत हूँ पर ठुकराई गई हूँ मैं

लोग मुझे देख हंसते हैं मजाक उडाते है

उन्ही की खुशी के लिए तालियाँ बजाती हूँ

हाँ समाज में मै किन्नर कहलाती हूँ ।


कोई मुझे छक्का तो कोई कहता हिजड़ा

कोई मुझे अपना समझता नही यहाँ

लगता है धरती पर मै श्राप हूँ

इसी कशमकश मे अपना वजूद बनाती हूँ ।

हाँ समाज में मै किन्नर कहलाती हूँ ।


है बहुत सी शिकायत मुझे अपने जनम से

पर दूसरो के जनम पर हंस कर बलाये लेती हूँ

तालियाँ बजा बजा कर मै

अस्तित्व अपना दबाती हूँ

हाँ समाज में मै किन्नर कहलाती हूँ ।


होती है मुझे अपनी रूह से घृणा

पर पेट भरने के लिये खुद को सजाती हूँ

लाल रंग की चुनरी ओढ लगाकर सिंदूर

मेक अप की परतों के नीचे अपना दर्द छिपाती हूँ

हाँ समाज में मै किन्नर कहलाती हूँ ।


खुद की चाहतो का कत्ल कर मे

मै रोज दुआ देने निकल जाती हूँ

दिल में दर्द और लबों पर मुस्कान

अपनी ख्वाहिशे भूल सबको गले लगाती हूँ ।

हाँ समाज में मै किन्नर कहलाती हूँ ।


तुम क्या जानो मेरे मन की व्यथा

कैसे मै अपना जीवन जीती हूँ

नारी बन श्रृंगार कर पुरुष बन उपहास पाता हूँ

मै ही राम मै ही अपनी सीता कहलाती हूँ

हाँ समाज में मै किन्नर कहलाती हूँ ।


पारंगत हूँ मै नाच गाना मे

मेरी जिह्वा पर रहती दुआ की बूंदें

पर दो तालियों के बीच जीवन का

वजूद में हंसते हुए बनाती हूँ

हाँ समाज में मै किन्नर कहलाती हूँ ।।








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