ख्यालो ने यूँ ....
ख्यालो ने यूँ ....
ख्यालों ने यूँ बोलने से रोक लिय़ा
सवालों ने यूँ टोकने से रोक लिय़ा
खता क्या है , तुमको भूल जाने की
फासलों ने यूँ मिटने से रोक लिय़ा !
कहाँ कहाँ सुनोगे मनचाहे कहकहे
जहाँ जहाँ चुनोगे अनचाहे मनकहे
फुरसत मिली औ साथ बैठे थे ज़रा
मदभरी रात ने ड़ूबने से रोक लिय़ा !!
जवां धड़कने, मिलने से रोक पाओगे
हवाये बेवजह चलने से रोक पाओगे
संभल जाएं , पथ भ्रमित होकर भी क्यूँ
सुनहरी य़ादों ने मिलने से रोक लिय़ा !
डगर डगर के साथ भी हैं मुशकिले
हर समर के साथ भी हैं सिलसिले
कसम तुम्हें क्यूँ दे आज भूल जाने की
तुम्हारी बातों ने टूटने से रोक लिय़ा !