ख्वाहिशों की सीढ़ी
ख्वाहिशों की सीढ़ी
ख्वाहिशों की सीढ़ियों पर चढ़ कर,
कुछ ख्वाब लिखे थे बादलों पर,
ये सोचता रहा फिर मैं रुक कर,
खुदा की निगाह पड़ेगी उन पर;
तब हवाओं ने बदला रुख कुछ ऐसे,
कि रह गए ख्वाब मेरे, बिखर करI
ख्वाहिशों की सीढ़ियों पर चढ़ कर,
कुछ ख्वाब लिखे थे बादलों पर,
ये सोचता रहा फिर मैं रुक कर,
खुदा की निगाह पड़ेगी उन पर;
तब हवाओं ने बदला रुख कुछ ऐसे,
कि रह गए ख्वाब मेरे, बिखर करI