ख्वाब
ख्वाब
इक अदना सा ख्वाब है देखा,
सबको खुशियों में घिरा है देखा,
आम को भी और खास को देखा,
सुनहरे कपड़ों में सिमटा देखा,
चहकते बच्चों की मुस्कान को देखा,
खिलखिलाते फूलों को है देखा,
ना देखा तो बस यह ना देखा,
नफ़रत भरी आंखों को न देखा,
दुश्मनी से भरे रिश्तों को न देखा,
उलझनों में फसे, इंसानों को न देखा,
काश यह ख़वाब न हो देखा,
हकीकत में इसको गर होते देखा,
काश की यह सच में होता।।